लेखनी प्रतियोगिता -15-Nov-2021 - वादियाँ
वादियों में गीत गाती हूँ मैं,
जिंदगी बस यूंँ ही गुनगुनाती हूँ मैं |
तेरे लिए शब्द गढ़ सकती हूँ,
नैनो में तुझको समा सकती हूँ,
बंसी की धुन लगे हैं प्यारी इतनी,
जान उस पर अपनी लुटा सकती हूंँ |
इश्क में तेरे खो गई इस कदर,
इस दुनिया की मुझे रही न खबर,
चांदनी की तरह फैली रहूंँ मैं,
जो तू जिंदगी में मेरी आए बेखबर |
कई अंदाज तेरे हमने देखे हैं,
गुरुर में आप क्यों ऐसे ऐंठे हैं,
हमको कभी तू बदनाम न करना,
दिल अपना हम थामें बैठे हैं |
ठेस इस दिल को जो तू पहुंँचाएगा,
ये बता चैन तू भी कहांँ पाएगा,
नज़रें जो तेरी हमसे मिल जाएंगी,
दिल तू भी अपना हम पर लुटाएगा |
मेरी पलकों में आ तू छुप जा दिलदार ,
मैं करती रहूंँ सुबह शाम तेरा दीदार ,
काटे नहीं कटती अब तो मेरी रातें,
तुझको ही बनाया मैंने अपना हकदार |
आईना भी मेरा करता हैं मुझसे सवाल,
आखिर तूने मचाया यहाँ कैसा बवाल ,
जवाब उसको मुझसे कुछ देते न बने,
तूने तो मेरा दिलों जिगर किया हैं हलाल |
वादियों में गीत गाती हूँ मैं,
जिंदगी बस यूंँ ही गुनगुनाती हूँ मैं ||
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Swati chourasia
16-Nov-2021 12:58 AM
Wow Very beautiful 👌👌
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Zakirhusain Abbas Chougule
16-Nov-2021 12:34 AM
Nice
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Shikha Arora
16-Nov-2021 12:51 AM
Thank u ji 🙏🙏
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Niraj Pandey
15-Nov-2021 11:45 PM
बहुत खूब
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Shikha Arora
16-Nov-2021 12:51 AM
धन्यवाद जी🙏🙏
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